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कविता

मिट्टी

नरेश सक्सेना


नफरत पैदा करती है नफरत
और प्रेम से जनमता है प्रेम
इनसान तो इनसान, धर्मग्रंथों का यह ज्ञान
तो मिट्टी तक के सामने ठिठककर रह जाता है

मिट्टी के इतिहास में मिट्टी के खिलौने हैं
खिलौनों के इतिहास में हैं बच्चे
और बच्चों के इतिहास में बहुत से स्वप्न हैं
जिन्हें अभी पूरी तरह देखा जाना शेष है

नौ बरस की टीकू तक जानती है ये बात
कि मिट्टी से फूल पैदा होते हैं
फूलों से शहद पैदा होता है
और शहद से पैदा होती है बाकी कायनात
मिट्टी से मिट्टी पैदा नहीं होती

 


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